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प्राचीन इतिहास

1 Solved Question with Answers
  • 2024

    ऋग्वैदिक से उत्तर-वैदिक काल तक सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में घटित परिवर्तनों को रेखांकित कीजिये।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • परिचय: इस अवधि के दौरान खानाबदोश जनजाति से लेकर स्थायी जीवन शैली के रूप में बदलती प्रकृति के बारे में बताइये।
    • मुख्य भाग: ऋग्वैदिक से उत्तर-वैदिक काल तक सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में घटित परिवर्तनों को बताइये।
    • निष्कर्ष: उचित निष्कर्ष लिखिये।


    परिचय:

    ऋग्वैदिक (1500-1000 ईसा पूर्व) से उत्तर-वैदिक (1000-500 ईसा पूर्व) काल की अवधि में खानाबदोश जीवन शैली से लेकर स्थायी कृषि समाज के रूप में बदलाव देखा गया, जिससे सामाजिक व्यवस्थाओं के साथ आजीविका में व्यापक परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

    मुख्य भाग

    पहलू

    ऋग्वैदिक काल

    उत्तर-वैदिक काल

    वर्ण व्यवस्था

    लचीली, व्यवसाय आधारित, जनजातीय एवं समतावादी समाज।

    कठोर, पदानुक्रमित, चार अलग-अलग वर्ण: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।

    महिलाओं की स्थिति

    महिलाएँ अनुष्ठानों में भाग लेती थीं।

    सती प्रथा और बाल विवाह का उदय हुआ।

    पितृसत्ता

    पितृसत्ता का लचीला होना, जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता (जैसे- स्वयंवर)।

    महिलाएँ घरेलू कार्यों तक ही सीमित थीं।

    वैदिक शिक्षा

    महिलाओं और पुरुष दोनों को ही वैदिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था।

    उच्च जातियों तक ही सीमित।

    धन का प्रतीक

    धन का प्रमुख प्रतीक मवेशी थे (जैसे- गविष्ठी)।

    भूमि स्वामित्व और कृषि उत्पादकता धन के मुख्य प्रतीक बन गए।

    कृषि का विस्तार

    ग्रामीण और अर्द्ध खानाबदोश अर्थव्यवस्था।

    अर्थव्यवस्था का आधार कृषि बन गई। विस्तृत कृषि (शतपथ ब्राह्मण)

    व्यापार और वाणिज्य

    व्यापार सीमित (मुख्यतः वस्तु-विनिमय आधारित) था।

    व्यापार और वाणिज्य का विस्तार, सिक्कों (निष्क) का प्रचलन तथा श्रेणियों (गिल्ड) का उदय।

    शिल्प और व्यवसाय

    शिल्पकला सरल थी। व्यवसाय वंशानुगत नहीं थे।

    विशिष्ट शिल्पों का उदय, वंशानुगत व्यवसाय।

    निष्कर्ष:

    ऋग्वेद के खानाबदोश, समतावादी समाज से उत्तर-वैदिक काल में उदित कठोर जातिगत संरचना एवं कृषि अर्थव्यवस्था में परिवर्तन से गंगा घाटी में शहरीकरण (उदाहरण के लिये, महाजनपद) को बढ़ावा मिला।

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